तुम भी इक खानकाह कर लोगे।

दिल को आलम पनाह कर लोगे।।


और आसान मंज़िलें होंगी 

जब नई एक राह कर लोगे।।


इक दफा आदमी तो बन जाओ

फिर कहीं भी निबाह कर लोगे।।


इश्क़ वालों के आसपास रहो

कोई अच्छा गुनाह कर लोगे।।


हुस्न वालों से सावधान रहो

वरना दामन सियाह कर लोगे।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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