अच्छी कविता क्या होती है

झूठ सत्य के वेश बनाये

भावों की चाशनी लपेटे

कुछ शब्दों की गुटबाजी है

कुछ अच्छा लिखने की ख़ातिर

ऐसा क्या करना पड़ता है

जब कोई कविता गढ़ता हूँ

तब मैं अच्छे शिल्पकार के

जैसा दिखलाई पड़ता हूँ

किन्तु मेरी कविताएं 

लोकरंजक तो होती हैं

जन सरोकार  से जुड़ाव नहीं रखती

तुम्हें पता है !

जन सरोकारों की बात लिखते समय

मैं अच्छा कवि नहीं रहता 

देखो ना यह कविता भी

मेरी तरह बदसूरत लग रही है।।

Suresh sahani kanpur

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