क्या मुझको बिसरा पाओगे।

मेरे गीत तुम्ही गाओगे।।

मुझसे प्रेम करो जी भर कर

वरना भूल नहीं पाओगे।।


रोग सरल यह प्यार नहीं है

पीड़ा का उपचार नहीं है

आने के अगणित कारण हैं

जाने का आधार नहीं है


इसके वैद्य हकीम नहीं हैं

वापस मुझतक ही आओगे।।


कारण दोगे कौन  सखे तुम

तब फिर रहना मौन सखे तुम

इधर उधर आना छूटेगा

पड़े रहोगे भवन सखे तुम


नज़र झुकाए सुध बिसराये

पनघट भी कैसे जाओगे।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है