सुनो हम तुम्हें पढ़ाना चाहते हैं

नहीं किताब कॉपी  वाली पढ़ाई नहीं

उस पढ़ाई से  तुम बिगड़ चुके हो

क्योंकि जब तुम कहते हो , 

तुम्हें मानव मात्र से प्यार है तो दुख होता है

कि कैसे सीख गए तुम प्यार करना

आख़िर हम जहां रहते हैं वहां प्रेम अपराध ही तो है

तो हम तुम्हें पढ़ाएंगे कि कैसे की जाती है नफरत

और कैसे हो सकता है एक धर्म 

दूसरे धर्म का का सनातन शत्रु

कैसे कर सकते हो सफल घृणा उनके प्रति 

जिन्होंने हेरोदस की संतानों को

वर्षों दबाकर रखा 

और कैसे नहीं मिला हेलेना को राजमाता का पद 

अगली दस पीढ़ी तक

तुम्हें आने चाहिए नफरतों के गुणा भाग

पता होना चाहिए नफरतों का इतिहास भूगोल

और पता होना चाहिए कि तुम्हारे माता पिता

तुम्हारी ज़िन्दगी बिगाड़ रहें हैं पढा लिखा कर

उस एक कागज के लिए जिसके बगैर भी

तुम जी सकते हो ज़िन्दगी और कर सकते हो 

नफरत जितनी चाहे उतनी वह नफरत जो सनातन है

नफरत करने के लिए  पढ़ना भी ज़रूरी नहीं

जबकि प्रेम के लिए ढाई अक्षर पढ़ना पहली शर्त है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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