सोचा था हम तन्हा तन्हा रो लेंगे।

क्या मालुम था आँसू खुल कर बोलेंगे।।


चेहरा राज़ बता देगा मालूम न था

सोचा था चुपके से आँसू धो लेंगे।।


सोचा  था ख्वाबों में मिलने आओगी

बस यूँही इक नींद जरा हम सो लेंगे।।


कब ये सोचा था इस दिल के गुलशन में

अपने हाथों ही हम काटें बो लेंगे।।


यार कभी तो धरती करवट बदलेंगी

बेशक़ नफरत के सिंहासन डोलेंगे।।


तुम ही दूर गए हो मुझसे मेरा क्या 

 जब आओगे साथ तुम्हारे हो लेंगे।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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