दूर रहकर तलाश करता है।

पास आकर तलाश करता है।।


आईना रोज मेरी आंखों में

जैसे इक डर तलाश करता है।।


आशना है मगर न जाने क्या

मुझमें अक्सर तलाश करता है।।


इश्क़ सहराब तो नहीं दरिया

क्यों समुंदर तलाश करता है।।


ज़िन्दगी के सफ़र में जाने क्यों

आदमी घर तलाश करता है।।


हैफ़ मय को हराम ठहराकर

शेख़ कौसर तलाश करता है।।


इश्क़ करता था साहनी कल तक

आज पैकर तलाश करता है।।


सुरेश साहनी कानपुर 

9451545132


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