बला से नाम वाला हो गया हूँ।

मगर कितना अकेला हो गया हूँ।।

तकल्लुफ एक हद तक ही भली है

इसी से तो अलहिया हो गया हूँ।।

तुम्हे ही आज मैं लगता हूँ पागल

तुम्हारा ही दीवाना हो गया हूँ।।

सुख़न की महफ़िलें फिर से सजेंगी

अदब का मैं इदारा हो गया हूँ।।

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