आज कुछ हम भी सेल्फियाये हैं।
खुद ही देखे हैं खुद लजाये हैं।।
हम पे इतना यक़ीन ठीक नहीं
हम अभी खुद को आजमाये हैं।।
तुम पे कुर्बान हो नही सकते
और भी चाहतें दबाये हैं।।
दूर कितनों से हो गए जबसे
हम तुम्हारे करीब आये हैं।।
अपनी आदत से तंग हैं हम भी
पर न क़ाफ़िर से छूट पाये हैं।।
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