समस्या सच में कोरोना नहीं है।

कमी बस जागरूक होना नहीं है ।।


वजू जितना ज़रूरी है समझिये

मुसलसल हाथ मुंह धोना नहीं है।।


किसी को राह पर लाना है सुन्नत

यक़ीनन उम्र भर ढोना नहीं है।।


बुलंदी है तुम्हारी शक़ के क़ाबिल 

मेरा कद आज भी बौना नहीं है।।


कहाँ रक्खें तुम्हारी हसरतों को

मेरे दिल मे कोई कोना नहीं है।।


मुहब्बत गैब है बस यूँ समझ लो  

कोई जादू कोई टोना नहीं है।।


तुम्हें हंसते नहीं देखा किसी ने

मेरी फ़ितरत कभी रोना नहीं है।।


हमारा ज़िस्म फ़ानी है यक़ीनन

तुम्हारा भी बदन सोनां नहीं है।।


तुम्हारी ज़िन्दगी मुझसे है जानम

मेरा होना फ़क़त होना नहीं है।।


सुरेश साहनी ,कानपुर

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