लो यह गीत तुम्हारी ख़ातिर


उन सपनों के नाम समर्पित

जो हमने तुमने देखे थे

उन राहों के नाम समर्पित 

जिन पर हम तुम साथ चले थे

जो पल साथ बिताये तुमने

ओ मनमीत हमारी ख़ातिर

लो यह गीत तुम्हारी ख़ातिर


उन ख़्वाबों के नाम समर्पित

जिनको चुन चुन तोड़ा तुमने

उन राहों के नाम समर्पित

जिन पर तनहा छोड़ा तुमने

फिर बिन वज़ह बताये तुमने

तोड़ी प्रीत किसी की ख़ातिर

लो यह गीत तुम्हारी ख़ातिर


जिस से तुम सुन्दर दिखती थी

अब मेरी वह नज़र नहीं है

जो तुमपे पागल रहती थी

अब वह बाली उमर नहीं है

टूट गये जो साज सजाते -

थे संगीत तुम्हारी ख़ातिर

लो यह गीत तुम्हारी ख़ातिर

तोड़ी रीत तुम्हारी ख़ातिर

सुरेश साहनी, कानपुर

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