अक्सर तुम  तक जाते जाते।

लौट गये हम आते आते।।


आवाजें दे दे कर हारे

खुद को कितनी देर बुलाते।।


ख़ुद से कह ली ख़ुद ही सुन ली

किससे कहते किसे सुनाते।।


हम बहला सकते हैं खुद को

पर दिल को कैसे बहलाते।।


इश्क़ मुहब्बत दुनियादारी

तुम होते तब तो समझाते।।


रिश्तों की अपनी कीमत है

कैसे खाली हाथ निभाते।।


वो सुरेश नादान बहुत है

रो पड़ता है गाते गाते।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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