बादल को चेतावनी पर एक गीत....


तुम्हें ड्यूटी मिली है गरजना तो पड़ेगा।

भले चमको न चमको बरसना तो पड़ेगा


मेरे घर खेत आंगन सभी सूखे पड़े हैं

विटप वन बाग उपवन अभी रूखे पड़े हैं

तुम्हें सावन की लय पर थिरकना तो पड़ेगा।।


वो जलता भी है दिन भर वो थकता भी है निस दिन

भले अलसाये सूरज मगर उगता है निस दिन

तुम्हें भी मेरे नभ में घहरना तो पड़ेगा।।


तुम्हारा दर्प आखिर कहां तक साथ देगा

जो सावन में न सम्हले कन्हैया नाथ देगा

तो फिर भादों में नीचे उतरना ही पड़ेगा ।।

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