इसे शिकवा समझ लें तुम कहो तो।
तुम्हें अपना समझ लें तुम कहो तो।।
तुम्हारे दिल मे क्या है तुम समझना
तुम्हें अच्छा समझ लें तुम कहो तो।।
तुम्हारे प्यार में हम डूब जायें
तुम्हें दरिया समझ लें तुम कहो तो।।
ये पत्थर दिल चटकना चाहता है
तुम्हें शीशा समझ लें तुम कहो तो।।
नज़र तुमने झुका ली है हया से
इसे हम क्या समझ लें तुम कहो तो।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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