कब कहा है कि दोस्ती रखिये।
दुश्मनी है तो दुश्मनी रखिये।।
लीजिये हाल एक दूजे का
तल्ख़ रिश्तों में ताजगी रखिये।।
या तो रिश्ते न हो तकल्लुफ़ के
या तो जमकर तनातनी रखिये।।
शोला-ए-इश्क़ को हवा दीजै
नफरतों की बुझी बुझी रखिये।।
तिश्नगी मेरी इक समंदर है
अपने होठों पे इक नदी रखिये।।
लोग सुनकर हंसी उड़ाएंगे
दिल की बातों को दिल मे ही रखिये।।
साफ गोई उसे पसंद नहीं
आप भी झूठ की डली रखिये।।
सुरेश साहनी कानपुर
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