****महाकवि नीरज को श्रद्धांजलि****

आज हमें रो लेने दो कवि

कल गुबार ही रह जायेगा

आज चरण धो लेने दो कवि

कल कारवां गुज़र जाएगा .. .......


जिसे पुकारा वो न चला पर

कोटि अन्य चल पड़े सफर में

जिसे निहारा वो न मिला पर

कोटि अन्य दृग बिछे डगर में


आज विदित हो लेने दो कवि

कल यह कौन बता पायेगा........


कल तक पीड़ाओं को तुमने

शब्द अल्पनाओं में ढाला

मूक वेदनाओं को तुमने

स्वर देकर मुखरित कर डाला


चरण धूल तो लेने दो कवि

अब मिलना कब हो पायेगा.......


जब जब ताल सजल होंगे तब

नीरज तुम्हें नज़र आएंगे

जब जब मंच सजाओगे कवि

नीरज याद सहज आएंगे


अब सब कुछ खो लेने दो कवि

कल क्या खोना रह जायेगा.....

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है