कभी फुर्सत मिले तो याद करना।
नहीं तो वक़्त मत बरबाद करना।।
कहाँ गुजरे हुए पल लौटते हैं
जहाँ जाना वो घर आबाद करना।।
तुम्हारे वार में तासीर कम है
तरीका कुछ नया इज़ाद करना।।
जहाँ आवाज पे पहरे लगे हों
वहां बेकार है फरियाद करना।।
न करते चाक सीना-ए-मुहब्बत
अगर था मुल्क को आज़ाद करना।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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