हुश्न की प्यास जगाने वाले।

तिशना लब छोड़ के जाने वाले।।

आह की आग में जल जाएगा

बेजुबां दिल को सताने वाले।।

घर तेरा भी है इसी बस्ती में

दिल की दुनिया को जलाने वाले।।

जिस्म शीशे का है घर शीशे के

दिल को पत्थर का बताने वाले।।

छोड़ जाते हैं अना की ख़ातिर

प्यार से घर को बनाने वाले।।

डूब जाते हैं वफ़ा के हाथों

इश्क़ में हाथ बढ़ाने वाले।।

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