दिल को धड़कन सुनाने लगी रागिनी।

ज़ीस्त लगने लगी कोई मधुयामिनी।।

मन बसंती हुआ तन बसंती हुआ

और मौसम हुआ फागुनी फागुनी।।


यूँ निछावर हुए हम भ्रमर की तरह

प्रेमपथ पथ पर बिछे गुलमुहर की तरह

हाथ मे हाथ जब से मिला आपका

एक प्यारी गजल की बहर की तरह


खिल के मौसम गुलाबी गुलाबी हुआ

डालियां हो गईं प्यार की अलगनी।।


आपकी ज़ुल्फ़ लेकर घटा चल पड़ी

ले शराबी कदम हर अदा चल पड़ी

तिश्नगी तोड़ कर बांध क्या बह चली

मरहबा मरहबा की सदा चल पड़ी


फिर शराबी घटाएं बरसने लगीं

दिल की महफ़िल हुई सावनी सावनी।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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