अगर तुम याद आना चाहते हो।

तो आओ क्या बहाना चाहते हो।।

तुम्हें भी इक ज़रा तकलीफ होगी

भले हमको सताना चाहते हो।।

मेरे ख़्वाबों में आना ठीक है क्या

बताओ क्या बताना चाहते हो।।

ये क्यों लगता है कोई चोर हो तुम

मेरी  नींदें  चुराना चाहते हो।।

कि चोरी ऊँट की करना निहुर कर

मुहब्बत को छुपाना चाहते हो।।

मेरी आगोश में इक आग भी है

बचो दामन जलाना चाहते हो।।

मुहब्बत है तो फिर ईमान लाओ

कि ये भी छल से पाना चाहते हो।।

बहुत पछताओगे कल याद करके

जिसे तुम भूल जाना चाहते हो।।

सुरेशसाहनी, अदीब, कानपुर

9451545132

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