अहले - कद हैं वो वहम रहने दे।

सब्र रख ख़ुद को ही ख़म रहने दे।।


उस ख़ुदा को कोई दरकार नहीं

नाखुदाओं के अलम रहने दे।।


पुल ए सिरात की बातें न बता

मयकदे में तो अदम रहने दे।।


क्या ज़रूरी है जुबां दरपन को

हुस्न को अहले भरम रहने दे।।


खैर प्याला तो दिया है उसने

आज मय कम है तो कम रहने दे।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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