दद्दा महान, दद्दा महान।
कुछ चिंताओं के मूल तुम्हीं कुछ शंकाओं के समाधान।।
तुम विपदाओं के सूत्रधार तुम ही संकट में राहत हो
तुम मित्रों के हो मित्र किन्तु तुम बिना बुलाई आफत हो
मंगल हो मंगल के समान तुम स्वयं शनि की मूरत हो
तुम हौ प्रसन्न तो सब प्रसन्न तुम रूठे तो संकट महान।।
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