जप तप ध्यान योग से काया दिव्य देह में ढल जाती है।

कामजीत मन हो जाता है अवधारणा बदल जाती है।।

जीवन का सर्वस्व होम कर ख़ुद को बिसराना होता है

क्या लगता है ऋषि को यूँ ही कोई अप्सरा मिल जाती है।।

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