यादें तेरी आ आ के कुछ ऐसे सताती है

जगने भी नहीं देतीं सोने भी नहीं देतीं।।

तासीर तेरे गम की है खूब मसीहाई

मरने तो नहीं देती जीने भी नहीं देती।।SS

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है