यार जितना जलाल है इनमें।
उससे ज्यादा कमाल है इनमें।।
इनकी संज़ीदगी से लगता है
कोई गहरा सवाल है इनमें।।
उनसे बिछड़ी तो खूब रोई हैं
तुम न मानो मलाल है इनमें।।
इनकी मासूमियत पे मत जाओ
अक्ल के साठ साल है इनमें।।
राहते-रूह हैं यही फिर भी
भर ज़हां का बवाल है इनमें।।
इनकी औक़ात क्या समझते हो
उससे ज्यादा का माल है इनमें।।
ये न समझो कोई दबा लेगा
गेंद जैसा उछाल है इनमें।।
सुरेश साहनी कानपुर
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