तू ख़ुदा है तो ये संसार अधूरा क्यों है।

कुछ खबर है कि समाचार अधूरा क्यों है।।

तेरा बन्दा हूँ मुझे तूने बनाया तो फिर

मेरी हस्ती मेरा क़िरदार अधूरा क्यों है।।

आसमानों से भी ऊँचे हों इरादे जिनके

तू बनाता उन्हें हर बार अधूरा क्यों है।।

सब तो जोड़े से हैं बच्चे भी हैं घरबार भी है

तू अधूरा तेरा घर बार अधूरा क्यों है।।

इतनी रक़बत है तो फिर खुल के अदावत कर ले

या मुहब्बत है तो कर प्यार अधूरा क्यों है।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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