धीरे धीरे सबकी बारी आएगी।

ये मत बोलो सिर्फ तुम्हारी आएगी।।

कौन कहेगा बढ़कर राजा नँगा है

जब राजा की शान सवारी आएगी।।

तुम चुप हो हम चुप हैं ज़ालिम कहता है

इसीलिए सरकार हमारी आएगी।।

जितना चाहे मींच ले आंखें मक़तल में

गर्दन पे तलवार दुधारी आएगी।।

मेरे जैसे इस आशा में जीते हैं

सुबह कभी तो न्यारी न्यारी आएगी।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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