कोई अदम नहीं है मेरी ज़िंदगी मुझे।।

उनका करम नहीं है मेरी ज़िंदगी मुझे।।

तूफाने-बहरे-ग़म से उबर ही न पायें हम

इतना भी ग़म नहीं है मेरी ज़िंदगी मुझे।

मेरे बग़ैर जी न सकेंगे मेरे हबीब

ये भी वहम नहीं है मेरी ज़िंदगी मुझे।।

दो दिन मिले हैं वस्ल के दो दिन बहार के

दिन चार कम नहीं है मेरी ज़िंदगी मुझे।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है