मौन स्वर से प्यार बोलो
फिर नयन में प्यार घोलो।
प्रीत का आह्वान सुनकर
प्रिय! हृदय के द्वार खोलो।।
कब तलक होगी प्रतीक्षा
और कब तक दूँ परीक्षा
याचना रत हूँ प्रणय के
बन्द कोषागार खोलो।। प्रिय हृदय .....
पाप है यह कल्पना है
प्यार पूजा प्रार्थना है
रीति वसना क्यों बनी हो
बन्धनों से रार तो लो ।। प्रिय हृदय.....
लाज की प्राचीर तोड़ो
मत विरह के तीर छोड़ो
नेह से अन्तस् बुहारो
रोष में मनुहार घोलो।। प्रिय हृदय.....
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