चिड़ियाघर ख़त्म होते जा रहे हैं

और ख़त्म होते जा रहे हैं शहर भी

अब बच्चे शेर को पहचानते हैं

उन्होंने लॉयन किंग और जूमाँजी देखी है

वे डिस्कवरी और वाइल्डलाइफ भी देखते हैं

वे पहचानते हैं लेपर्ड कोब्रा जिराफ़

और क्रोकोडायल भी

पर उनकी मासूम आंखें नहीं पहचान पाती

इंसान में छुपे शैतान को

उस भेड़िये को जो दिन के उजाले में

आता है आदमी बनकर

और उस मासूम को बनाता है अपना शिकार

जो इतना भी नहीं जानती 

कि भँवरे फूलों पर क्यों मंडराते हैं

वो भागती है तितलियों के पीछे

इस बात से अनजान कि आदमखोर

अब जंगलों में नहीं रहते.....

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