दिन भी जब रात की तरह निकले।

हम भी खैरात की तरह निकले।।


यूँ सजाओ मेरे जनाजे को

ठीक बारात की तरह निकले।।


रात रो रो के काट ली हमने

दिन न बरसात की तरह निकले।।


बात कहना तो बात में दम हो

बात भी बात की तरह निकले।।


दिल की बाज़ी थी शान से खेले

शह दिया मात की तरह निकले।।


हम तेरे ग़म में इस कदर खोये

दर्द नगमात की तरह निकले।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है