खालीपन कुछ अधिक दुखद है।

व्यस्त रहें ये कुछ सुखप्रद है।।

यदा कदा ख़ुद में खो जाओ

मन के भीतर ही अनहद है।। 

शोक हानि का करो उचित है

चिंता चिता बराबर पद है।।

तुम तबतक खुश रह सकते हो

जबतक सांसों की आमद है।।

यह तन ही दुःख का आगर है

मृत्यु दुखों की अंतिम हद है।।

प्रथमानन्द चरण पितु माँ के

परमानन्द परमप्रभु पद है।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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