सच के सूबे का गवर्नर कौन है।

झूठ से ओहदे में बढ़कर कौन है।।


मातहत जनता है यह तो साफ है

मातहत सब हैं तो अफसर कौन है।।


आदमी खुद को समझ कर के ख़ुदा

पूछता है आज ईश्वर कौन है।।


है अहम नज़रों में तेरी तख़्त तो

फिर सखी से पूछ सरवर कौन है।।


डूबता है सबका सूरज एक दिन

है मुसलसल जो मुनव्वर कौन है।।


सुरेश साहनी,कानपुर

कवि और विचारक

सम्पर्क- 9451545132

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