अपनी मर्जी चला नहीं सकते।

तुम हमें यूँ भुला नहीं सकते।।

हमने माना कि तुम हवा हो पर

मेरी खुशबू छिपा नहीं सकते।।

इन निगाहों में डाल दो नजरें

तुम अगर कुछ बता नहीं सकते।।

तुम रुलाओ किसी को क्या हक़ है

ग़र किसी को हँसा नहीं सकते।।

एक पल में बिगाड़ सकते हो

चार दिन में बना नहीं सकते।।

प्यार की हद में रूठना जायज़

हद से आगे मना नहीं सकते।।

हम को भी अपनी हद में रहना है

इस से ज्यादा सुना नहीं सकते।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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