कानू सान्याल ने कथित रूप से 22 मार्च 2010 को आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने कहा था कि वामपंथ के या अन्य आंदोलनों के असफल होने का एक बड़ा कारण यही था कि इन्होंने भारत के असली शोषित वंचित समाज को नेतृत्व के अधिकार से वंचित रखा। जबकि संघ ने छद्म रूप में ही सही लेकिन समाज के दबे कुचले और अति पिछड़े लोगों को नेतृत्व का अवसर दिया। फलस्वरूप आज वह सत्ता में है। तथाकथित समाजवाद , साम्यवाद और छद्म अम्बेडकरवाद ने समाज की जमीनी सच्चाई और जातीय वर्गीकरण को नकारने की चेष्टा की ,जिसके फलस्वरूप समाज में नवब्राम्हण जातियों का उदय हुआ और जातीय संकीर्णताओं को प्रश्रय मिला। जिसके चलते स्वर्गीया फूलन देवी और लालाराम के वर्ग संघर्ष को जातिय संघर्ष का स्वरूप दे दिया गया।देखा जाए तो भारत में लेनिन और चेग्वेरा की सही मायने में देखा जाए तो फूलन देवी ही सच्ची उत्तराधिकारी हैं।

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