#देश तो कोठियों में रहता है।
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ख़ुदकुशी से किसान का मरना
अब हमें आम बात लगती है।।
और इस देश मे किसान कहाँ
हर कोई हिन्दू या मुसलमां है
या किसी जात खाप का हिस्सा
जाति के साथ उसकी तकलीफें
पार्टियों के प्रभाव में आकर
भिन्न रूपों में व्यक्त होती हैं।।
और फिर एक किसान का मरना
देश के वास्ते मुफ़ीद ही है
आज इक खेत से कहीं ज्यादा
देश को भूमि की जरूरत है
देश के जल जमीन जंगल पर
सिर्फ और सिर्फ देश का हक है
देश जो सूट बूट धारी है
देश जो कोठियों में रहता है......
#सुरेशसाहनी कानपुर
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