बहुत से लोग पूर्वाग्रह ग्रसित हैं।
बड़े हैं क्यों कहें वे दिग्भ्रमित हैं।।
वो रहना चाहते है दूर मुझसे
मुझे लगता है वे ही संक्रमित हैं।।
है उनकी सोच पर पहरा किसी का
वे अपनी सोच से भी संकुचित हैं।।
किसी की जाति क्या है धर्म क्या है
भला इसमें किसी के क्या निहित हैं।।
वही होता है जो प्रभु की है मर्जी
बताएं आप क्यों इतने व्यथित हैं।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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