#पीड़ामुजफ्फरपुर
हाकिम अंकल जब आते थे
बड़े प्यार से समझाते थे
कपड़े क्या हैं इक बन्धन हैं
बन्धन के आगे जीवन है
बन्धन खोलो मुक्ति मिलेगी
पहले थोड़ी दिक़्क़त होगी
फिर ज्यादा आराम मिलेगा
उप्पर से पैसा बरसेगा
तब मालिक को काम मिलेगा
फिर हम काठ करेजा
हाकिम क्रूर जानवर हो जाते थे
हम जीकर फिर मर जाते थे
जब हाकिम अंकल आते थे...
सुरेश साहनी,कानपुर
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