सुना है दाल महँगी हो गयी है।

कहो क्या चीज सस्ती हो रही है।।

हमारे गांव कस्बे बन रहे हैं

हमारी नस्ल कुछ तो खो रही है।।

हम तंगदिल नहीं हैं हाथ तंग है

इधर कुछ जेब भी ढीली हुयी है।।

गलतफहमी हैं अच्छे दिन की बातें

गए जो दिन कभी लौटे नहीं हैं।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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