लिख तो दिया पढ़ेगा कौन।
कह जो दिया सुनेगा कौन।।
सूरज हो या चाँद सितारे
सब हैं अपने गम के मारे
सब के सब अपनी धुन में है
किसके लिए रुकेगा कौन।।
सारी रात जागते बीती
पर गागर रीती की रीती
स्वाति बूँद से दुर्लभ प्रतिफल
पूरक मेघ बनेगा कौन।।
मन मीरा है तन तुलसी हैं
आशायें फिरती हुलसी है।
सूर सरीखे गिर तो जाएँ
पर अब बाँह गहेगा कौन।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
Comments
Post a Comment