हम अपना दामन सियाह कर लें।
कहो तो खुद को तबाह कर लें।।
अभी मिले हो अभी से तौबा
मिले हैं कुछ तो गुनाह कर लें।।
ये इश्क़ गर कोई काफ़ीरी है
तो अपना दिल ला इलाह कर ले।।
तेरी वफ़ा पर यक़ीन क्या हो
कहो तो फिर भी निबाह कर लें।।
ख़राब नीयत जो हो रहे हैं
तो बेहतर है निकाह कर लें।।
सुरेश साहनी कानपुर
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