बात मत करना किसी अधिकार की।
कब्र तुमने अपनी ख़ुद तैयार की।।
क्या ज़रूरत है तुम्हारी मुल्क को
क्या ज़रूरत है तुम्हें सरकार की।।
जानना अपराध है इस राज में
सूचनाएं गुप्त हैं दरबार की।।
भ्रष्ट सारे कर्म अब नैतिक हुए
देख लो खबरें सभी अखबार की।।
आज का रावण समय का रत्न है
सिर्फ़ सीता ने हदें सब पार की।।
जो उन्होंने कह दिया वह सत्य है
क्या ज़रूरत है किसी यलगार की।।
झूठ है वीज़ा समय के स्वर्ग का
सत्य सीढ़ी है नरक के द्वार की।।
झूठ से हमको भला क्या हर्ज़ है
झूठ जब फितरत है अपने यार की।।
झूठ ही इस दौर की तहज़ीब है
झूठ ही बुनियाद है संसार की।।
सुरेश साहनी
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