बरसूंगा इस बार कह गया
प्यार मूसलाधार कह गया।।...
बोला था अब साथ रहूँगा
कुछ दिन इसी गांव ठहरूँगा
मेघों का थैला लटकाए
रिमझिम रिमझिम गीत सुनाए
मिलते है फिर यार कह गया
अपना नाम बहार कह गया।।........
भूरी चादर तन पर ओढ़े
दौड़ रहा था पांव सिकोड़े
बोला क्यों कितने दिन तरसा
गहराया फिर गरजा बरसा
शीतल प्रीत फुहार कह गया
जैसे अपनी हार कह गया।।......
फिर जैसे जीवन हरियाया
तन हरियाया मन हरियाया
मैं समझा मधुवन हरियाया
वो बोला सावन हरियाया
हरा भरा संसार कह गया
मन भर कर आभार कह गया।।.....
रूठे तो मनुहार कह गया
माने तो अभिसार कह गया
गालों पर पुचकार कह गया
हठ कर मुझे दुलार कह गया
हाथ पकड़ अधिकार कह गया
मैं भी उसको प्यार कह गया।।.....
सुरेशसाहनी, कानपुर
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