रात घूंघट सरक गया फिर से।

चाँद जैसे चमक गया फिर से।।


आज उसने कुछ इस तरह देखा

दिल हमारा बहक गया फिर से।।


उसने गजरा लगा लिया होगा

मेरा दामन महक गया फिर से।।


तुम हँसे खिलखिला के कुछ ऐसे

दिल का गुलशन चहक गया फिर से।।


जाने किस बात पे लजायी सुबह

सर्द आलम दहक गया फिर से।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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