कोलोजियम

 नहीं टूटता है चक्रव्यूह/

अभिमन्यु की तरह / न जाने कितने मारे गए/

जैसे गोरख पांडेय/ होते तो लिखते/

नहीं टूटता कविता का कोलोजियम....

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