चीन तो कुख्यात है ही लेकिन अमेरिका ने तीन महीने पहले भी इसी दवा की बात की थी और रिफिल का पोस्टर जारी किया था।इसके  लिए बाजार से बचाव के सस्ते विकल्प गायब कराए गए। क्लोरोक्वीन के साल्ट अमेरिका ने मंगवा कर नष्ट कर दिए।

डब्ल्यूएचओ जो तथाकथित रूप से चीन के इशारे पर चलता है , उसने दक्षिण एशियाई स्वास्थ्य समिति का चैयरमैन भारत को बनवा दिया। अब डब्ल्यूएचओ से किसी आपत्ति या मदद की उम्मीद ख़त्म समझिए। मतलब अमरीकी कंपनियों का रास्ता साफ है।

कैलिफोर्निया स्थित गिलियड ने 127 विकासशील देशों में रेमडेसिविर दवा उपलब्ध कराने के लिए कई जेनेरिक दवा निर्माताओं के साथ लाइसेंसिंग सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं.

भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों के बीच अब इसकी दवा को लेकर अच्छी खबरें भी आने लगी हैं. दवा कंपनी Mylan NV ने सोमवार को बताया कि वो गिलियड साइंसेज (Gilead Sciences) की  कोरोना वायरस की एंटीवायरल दवा रेमडेसिविर का जेनरिक वर्जन भारत में लॉन्च करेगी. कंपनी ने बताया कि इसकी कीमत 4,800 रूपए होगी, जिसकी कीमत विकसित देशों के मुकाबले 80 फीसदी कम है.

 Mylan से पहले दो अन्य भारतीय दवा कंपनियां सिप्ला लिमिटेड और #हेटेरो_लैब्स लिमिटेड भी पिछले महीने इस दवा का जेनरिक वर्जन लॉन्च कर चुकी हैं.

Mylan की कीमत प्रति 100 mg वायल के लिए तय की गई है लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि कोरोना वायरस ट्रीटमेंट के लिए इसके कितने वायल कोर्स पूरा करने की जरूरत होगी. गिलियड के अनुसार पांच दिनों के ट्रीटमेंट कोर्स के लिए एक मरीज को दवा की छह शीशियों की जरूरत होगी.

 बेहतर है भारतीय भैषज्य सूत्रों पर आधारित #बाबारामदेव के फार्मूलों को स्वीकार कर लिया जाए।

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