ख़्वाब जागे टूटने की हद तलक।

हम भी सोये जागने की हद तलक।।


मेरे हरजाई में कुछ तो बात थी

याद आया भूलने की हद तलक।।


यकबयक जाना क़यामत ही तो है

रूठते पर रूठने की हद तलक।।


प्यार को अन्जाम देना था मुझे

बात डाली ब्याहने की हद  तलक।।


अक्स दर्दे-दिल के उभरे ही नहीं

हमने देखा आइने की हद तलक।।


सुरेश साहनी  कानपुर

9451545132

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