पूछती है ये ज़िन्दगी अब भी।

क्या तुझे चाह है मेरी अब भी।।


झोलियों भर दिए हैं ग़म तुझको

क्या तुझे है कोई कमी अब भी।।


सूख कर दिल हुआ कोई सहरा

सिर्फ़ आंखों में है नमी अब भी।।


हैफ़ मेरे ही साथ रहता है

कोई तुम जैसा अजनबी अब भी।।


ढूंढ़ता है तुम्हें ये आइनां

दिल की आदत नहीं गयी अब भी।।


अब भी यादों के ज़ख़्म देते हो

इसमें  मिलती है क्या खुशी अब भी।।


तुम गये तो चली गयी कविता

यूँ तो लिखता है साहनी अब भी।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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