सुब्ह उठना कहाँ कमाल हुआ।

मुर्ग पहले अगर हलाल हुआ।।


क्या  वरक इक लहू से लाल हुआ।

उसकी ख़ातिर कहाँ बवाल हुआ।।


दिल मुहब्बत का पायेमाल हुआ।

हुस्न को कब कोई मलाल हुआ।।


हुस्न के चंद दिन उरूज़ के थे

क्या हुआ फिर वही जवाल हुआ।।


उनसे बरसों बरस उमर पूछी

हर बरस सोलवाँ ही साल हुआ।।


हासिले-इश्क़  सिर्फ़ ये आया

ना मिला रब ना तो विसाल हुआ।।


इश्क़ करना गुनाह था गोया

जो हके-हुस्न इन्फिसाल हुआ।।


साहनी ने सवाल उठाए थे

साहनी से ही हर सवाल हुआ।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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