किसके ग़म से अपना दिल आबाद करें।

वक़्त कहाँ फरियादों में बर्बाद करें।।

गए वक़्त की रानाई को याद करें।

बेहतर होगा क़ुरबत के पल याद करें।।

कभी न चाहेंगे हम दिल की दिल्ली का

कोई फैसला कोई फैसलाबाद करे।।

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