समस्या और गहरी हो गयी है

सदन गोया कचहरी हो गयी है।।

कि बेमानी है अब आवाज देना

तो क्या सरकार बहरी हो गयी है।।साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है